स्थान हमारी सोसायटी का ही पार्क मालूम होता है। स्थान हमारी सोसायटी का ही पार्क मालूम होता है।
परंतु वह दरिंदा कौन है ? जो भी हो, छोड़ूँगी नहीं उसको। परंतु वह दरिंदा कौन है ? जो भी हो, छोड़ूँगी नहीं उसको।
फुर्सत मिलते ही मिलता हूँ तुमसे।" "कभी मिलेगी फुर्सत ?" "पता नहीं।" फुर्सत मिलते ही मिलता हूँ तुमसे।" "कभी मिलेगी फुर्सत ?" "पता नहीं।"
यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा...... यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा......
भगवान ! फेसबुक ने जैसे उनके घर बसाए, वैसे सबके बसाए। भगवान ! फेसबुक ने जैसे उनके घर बसाए, वैसे सबके बसाए।
हाथो की उंगलियों में जलन होने लगी सिगरेट जल कर खत्म हो चुकी थी हाथो की उंगलियों में जलन होने लगी सिगरेट जल कर खत्म हो चुकी थी